Results for Business-News

Gold prices up at Rs 96,210/10gm while silver down at 97,940/kg

April 25, 2025

 


In the Indian Bullion Market, 24 Karat Gold was trading 1.3 percent up at 96,210 rupees per 10 grams, while Silver 999 Fine was trading over 0.4 percent down at 97,940 rupees per kilogram when reports last came in.

At the Multi Commodity Exchange, gold for the June contract was trading over 1.3 percent up at 96,010 rupees per 10 grams, while Silver for the May contract was trading over 0.3 percent down at 97,497 rupees per kilogram when the reports last came in.

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देश के सिविल एविएशन सेक्टर की अभूतपूर्व ग्रोथ: हवाई यात्रियों की सालाना संख्या 350 करोड़ से अधिक

April 23, 2025

 


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दूरदर्शी नेतृत्व में नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने भारत के विमानन क्षेत्र में परिवर्तनकारी विकास और नवाचार के युग का सूत्रपात किया है। क्रांतिकारी विधायी सुधारों, अवसंरचना के व्यापक विस्तार तथा कनेक्टिविटी, सुरक्षा और स्थिरता के प्रति अटूट प्रतिबद्धता से प्रेरित होकर मंत्रालय ने ऐतिहासिक उपलब्धियाँ हासिल करते हुए भारत को दुनिया के अग्रणी विमानन बाजारों में से एक बना दिया है। भारत को वैश्विक स्‍तर पर विमानन क्षेत्र में अग्रणी देश के रूप में स्थापित करने के लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध नागरिक उड्डयन मंत्रालय दूरदर्शी नीतियों, विश्व स्तरीय बुनियादी ढांचे और समावेशी, सतत विकास के माध्यम से परिवर्तनकारी बदलाव ला रहा है। जिस तरह भारत यात्री यातायात में नए रिकॉर्ड कायम करना, क्षेत्रीय संपर्क का विस्तार करना और विमानन ढांचे का आधुनिकीकरण करना जारी रखे हुए है, राष्ट्र ऊर्जावान वैश्विक विमानन केंद्र बनने की ओर अग्रसर है। आज भारत दुनिया के टॉप सिविल एविएशन इकोसिस्टम में से एक मजबूत पिलर बना हुआ है। देश के सिविल एविएशन सेक्टर की ग्रोथ अभूतपूर्व है।


सरकार के सम्मिलित प्रयास लाखों लोगों के लिए यात्रा के अनुभव को बेहतर बनाते हैं और आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा देते हैं, राष्ट्रीय एकीकरण को मजबूती प्रदान करते हैं, आइये जानते हैं, इन प्रयासों के बारे में, जिनसे देश का विमानन क्षेत्र भारतीय अर्थव्यवस्था के सबसे तेजी से बढ़ते हुए क्षेत्रों में से एक बना है।


प्रणालीगत परिवर्तन को बढ़ावा दे रहे हैं विधायी सुधार


भारत के विमानन पट्टे कानूनों को वैश्विक मानकों के अनुरूप बनाते हुए संसद ने विमान वस्तु हित संरक्षण विधेयक, 2025 पारित किया, ताकि पट्टे की लागतों में कमी लाई जा सके। भारतीय वायुयान अधिनियम 2024 ने 1934 के औपनिवेशिक युग के विमान अधिनियम की जगह लेते हुए भारत के विमानन क्षेत्र का आधुनिकीकरण किया।


बुनियादी ढांचे का विस्तार-भारतीय विमानन के भविष्य का निर्माण


आपको बता दें, वाराणसी, आगरा, दरभंगा और बागडोगरा जैसे प्रमुख स्थानों पर नए टर्मिनलों की नींव रखे जाने सहित महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे का विकास जारी है। वहीं, 2014 से, ‘सैद्धांतिक रूप से’ स्वीकृत 21 हवाई अड्डों में से 12 ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों का परिचालन किया जा चुका है। इनमें दुर्गापुर, शिरडी, कन्नूर, पाकयोंग, कलबुर्गी, ओर्वाकल (कुरनूल), सिंधुदुर्ग, कुशीनगर, ईटानगर (होलोंगी), मोपा, शिवमोग्गा और राजकोट (हीरासर) शामिल हैं।


इसके अलावा, नोएडा (जेवर) और नवी मुंबई अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डों का विकास तेजी से आगे बढ़ रहा है, जिनका वित्त वर्ष 2025-26 की पहली तिमाही में परिचालन करने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है।


गौरतलब हो, सरकार ने अगले 5 वर्षों में 50 और हवाई अड्डे विकसित करने और अगले 10 वर्षों में 120 नए गंतव्यों को जोड़ने का महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित किया है। इसके अतिरिक्त राष्ट्रीय अवसंरचना पाइपलाइन (एनआईपी) के तहत वित्त वर्ष 2019-20 से वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान हवाई अड्डे के बुनियादी ढांचे के विकास के लिए 91,000 करोड़ रुपये से अधिक के पर्याप्त पूंजीगत व्यय की योजना बनाई गई है, जिसमें से नवंबर 2024 तक लगभग 82,600 करोड़ रुपये पहले ही खर्च किए जा चुके हैं।


हवाई यात्रा को सबके लिए सुलभ बनाना और क्षेत्रीय विकास को बढ़ावा देना


उड़ान योजना ने अपने 9वें वर्ष में प्रवेश करते हुए, 619 मार्गों और 88 हवाई अड्डों का सफलतापूर्वक परिचालन शुरु कर दिया है, साथ ही उसकी 120 अतिरिक्त गंतव्यों तक विस्तार करने की योजना है। वहीं, ग्रीनफील्ड हवाई अड्डों को चालू करने और देश भर में मौजूदा सुविधाओं को उन्नत बनाने में महत्वपूर्ण प्रगति के साथ, विमानन अवसंरचना का तेजी से विस्तार जारी है। ज्ञात हो, कोलकाता के नेताजी सुभाष चंद्र बोस अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे और चेन्नई हवाई अड्डे पर कैफ़े शुरु किए गए हैं, जहाँ चाय 10 रुपये में और समोसा 20 रुपये में मिलता है। कोलकाता कैफ़े को काफ़ी सफलता मिली है, जिसके कारण इस पहल का देश भर में विस्तार हुआ है।


सुरक्षा, प्रौद्योगिकी और निर्बाध यात्रा के लिए की जाने वाली पहल


आपको बता दें, अत्याधुनिक डीएफडीआर और सीवीआर प्रयोगशाला का उद्घाटन- नई दिल्ली में विमान दुर्घटना जांच ब्यूरो (एएआईबी) में एडवांस्‍ड डिजिटल फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर और कॉकपिट वॉयस रिकॉर्डर (डीएफडीआर और सीवीआर) प्रयोगशाला का उद्घाटन विमानन सुरक्षा बढ़ाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम था। 9 करोड़ रुपये की यह सुविधा घटनाओं के मूल कारणों की पहचान करने और जवाबदेही सुनिश्चित करने की दक्षता को महत्वपूर्ण रूप से बेहतर बनाएगी, जिससे एक सुरक्षित विमानन इकोसिस्‍टम में योगदान मिलेगा। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (एचएएल) ने इस महत्वपूर्ण प्रयोगशाला की स्थापना में सहायता प्रदान की है।


निर्बाध यात्रा के लिए डिजी यात्रा का विस्तार-24 हवाई अड्डों पर डिजी यात्रा सेवाओं ने यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा में उल्लेखनीय वृद्धि की है। यह पहल यात्रियों को निर्बाध, संपर्क रहित यात्रा का अनुभव प्रदान करती है। 80 लाख से अधिक उपयोगकर्ताओं ने यह ऐप डाउनलोड किया है और डिजी यात्रा सुविधा का उपयोग करके 4 करोड़ से अधिक यात्राएँ पूरी की गई हैं।


सीप्लेन संचालन के लिए दिशा-निर्देश जारी-भारत में क्षेत्रीय संपर्क को और बेहतर बनाने के लिए 22 अगस्त 2024 को सीप्लेन संचालन हेतु दिशा-निर्देश जारी किए गए। ये दिशा-निर्देश सुरक्षा और संरक्षा को प्राथमिकता देते हैं और इनका उद्देश्य पूरे देश में सीप्लेन संचालन की शुरुआत को सुगम बनाना है।


विमानन विकास में अतिरिक्त उपलब्धियाँ


वहीं, रखरखाव, मरम्मत और ओवरहाल (एमआरओ- भारत को प्रतिस्पर्धी वैश्विक एमआरओ हब के रूप में बढ़ावा देने के लिए विमान के कल-पुर्जों के लिए समान 5 प्रतिशत एकीकृत माल और सेवा कर (आईजीएसटी) दर शुरू की गई है। भारत में 13-18 प्रतिशत महिला पायलट हैं, जो वैश्विक स्तर पर सर्वाधिक है। दरअसल, नागरिक उड्डयन महानिदेशालय (डीजीसीए) ने 2025 तक सभी विमानन भूमिकाओं में महिलाओं का 25 प्रतिशत प्रतिनिधित्व करने का लक्ष्य निर्धारित किया है।


भविष्य के लिए तैयारी


वहीं दूसरी ओर मंत्रालय सक्रिय रूप से संधारणीय विमानन को बढ़ावा देता है, जिसके तहत लगभग 80 हवाई अड्डे अब 100 प्रतिशत हरित ऊर्जा पर परिचालन कर रहे हैं। 100 से अधिक हवाई अड्डों को नवीकरणीय ऊर्जा स्रोतों पर ले जाने की आकांक्षा है। एयरपोर्ट्स काउंसिल इंटरनेशनल (एसीआई) द्वारा बेंगलुरु हवाई अड्डे ने उच्चतम कार्बन मान्यता स्तर 5 प्राप्त किया है, जबकि दिल्ली, मुंबई और हैदराबाद हवाई अड्डों ने कार्बन न्‍यूट्रल बनने के लिए स्तर 4+ मान्यता प्राप्त की है। चेन्नई हवाई अड्डा भी पूरी तरह से हरित ऊर्जा पर काम करता है और इसमें 1.5 मेगावाट का सौर ऊर्जा संयंत्र है।


प्रशिक्षित पायलटों की बढ़ती आवश्यकता, जिसके अगले 10-15 वर्षों में 30,000 से 34,000 तक पहुँचने का अनुमान है, को देखते हुए मंत्रालय उड़ान प्रशिक्षण संगठनों (एफटीओ) और सालाना जारी होने वाले वाणिज्यिक पायलट लाइसेंस की संख्या बढ़ाने पर सक्रिय रूप से काम कर रहा है।


यात्री यातायात में तेजी से वृद्धि


एक समय था भारत में एयर ट्रैवल कुछ ही लोगों के लिए था। कुछ बड़े शहरों में अच्छी एयर कनेक्टिविटी थी। कुछ बड़े लोग लगातार एयर ट्रैवल का फायदा उठाते थे। कमजोर और मध्यम वर्ग कभी-कभार कभी मजबूरी में कभी ट्रैवल करना पड़ा हो, तो जाना हुआ होता था लेकिन सामान्य उसके जीवन में नहीं था। लेकिन आज भारत में स्थितियां पूरी तरह बदल गई हैं। आज देश में टीयर-2 और टीयर-3 सिटीज में भी वहां के नागरिक वहां से उड़ान भर रहे हैं।


सरकार ने जो इनीशिएटिव लिए, नीतिगत परिवर्तन किए और व्यवस्थाएं विकसित उसके फलस्वरूप 2024 में घरेलू हवाई यात्री यातायात दोगुना से अधिक होकर 22 करोड़ 81 लाख हो गया, जो 2014 से पहले 65 वर्षों में दर्ज 10 करोड़ 38 लाख यात्रियों की तुलना में उल्लेखनीय वृद्धि है।


आपको बता दें, 17 नवंबर, 2024 को पहली बार एक ही दिन में 5 लाख से अधिक यात्रियों के साथ ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल करते हुए, 2024 की जनवरी-नवंबर अवधि में घरेलू हवाई यात्री यातायात में 2023 की इसी अवधि की तुलना में 5.9 प्रतिशत की वृद्धि हासिल की गई। यही नहीं अंतर्राष्ट्रीय मार्गों पर भी पर्याप्त वृद्धि देखी गई, जनवरी और नवंबर 2024 के बीच 64.5 मिलियन यात्रियों ने यात्रा की, जो 11.4 प्रतिशत की वृद्धि को दर्शाता है।


आपको जानकर खुशी होगी, हवाई यात्रियों की सालाना कुल संख्या 350 करोड़ से अधिक हो गई है, जिसने भारत को वैश्विक स्तर पर तीसरा सबसे बड़ा विमानन बाजार बना दिया है। पिछले एक दशक में, घरेलू हवाई यात्री यातायात में सालाना 10-12 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।

देश के सिविल एविएशन सेक्टर की अभूतपूर्व ग्रोथ: हवाई यात्रियों की सालाना संख्या 350 करोड़ से अधिक देश के सिविल एविएशन सेक्टर की अभूतपूर्व ग्रोथ: हवाई यात्रियों की सालाना संख्या 350 करोड़ से अधिक Reviewed by SBR on April 23, 2025 Rating: 5

भारत ने वित्त वर्ष 2024-25 में रिकॉर्ड वाहनों का किया निर्यात

April 21, 2025

 


भारत का ऑटोमोबाइल निर्यात वित्त वर्ष 2024-25 में सालाना आधार पर 19 प्रतिशत बढ़कर 53 लाख यूनिट्स पर पहुंच गया है, जो देश के ऑटोमोबाइल सेक्टर की बढ़ती हुई क्षमता को दिखाता है। कार और एसयूवी निर्यात में मारुति सुजुकी और हुंडई शीर्ष पर रहे हैं। वहीं, दोपहिया वाहनों के निर्यात में बजाज ऑटो, टीवीएस और होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स शीर्ष पर थे। 


2024-25 के दौरान भारत का कुल वाहन निर्यात 53,63,089 यूनिट्स तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के आंकड़े 45,00,494 यूनिट्स से अधिक है


सोसाइटी फॉर इंडियन ऑटोमोबाइल मैन्युफैक्चरर्स (सियाम) द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार, 2024-25 के दौरान भारत का कुल वाहन निर्यात 53,63,089 यूनिट्स तक पहुंच गया, जो पिछले वित्तीय वर्ष के आंकड़े 45,00,494 यूनिट्स से अधिक है। भारत से यात्री वाहनों का शिपमेंट वित्त वर्ष 2024-25 में बढ़कर 7,70,364 यूनिट्स पर पहुंच गया है, जो कि वित्त वर्ष 2023-24 में 6,72,105 यूनिट्स पर था। 


अब तक का सबसे अच्छा वार्षिक प्रदर्शन भारत में बने मॉडलों की वैश्विक बाजारों में बढ़ती मांग के कारण हुआ


सियाम ने कहा कि यह अब तक का सबसे अच्छा वार्षिक प्रदर्शन था। इसकी वजह वैश्विक बाजारों में बेचे जाने वाले भारत में बने मॉडलों की मांग बढ़ना था। देश की सबसे बड़ी कार निर्माता कंपनी मारुति सुजुकी ने भी अपनी ऑफ-रोडर स्पोर्ट यूटिलिटी व्हीकल (एसयूवी) जिम्नी का जापान को निर्यात शुरू कर दिया है। मेक्सिको, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका वर्तमान में इस कार के लिए शीर्ष तीन निर्यात बाजार हैं।


कंपनी के शीर्ष निर्यात बाजारों में सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, चिली और पेरू शामिल हैं


यह फ्रॉन्क्स के बाद दूसरी एसयूवी है जिसे मारुति सुजुकी अपनी प्रमोटर कंपनी (सुजुकी मोटर कॉर्पोरेशन) को निर्यात कर रही है। कंपनी फ्रॉन्क्स एसयूवी को अपने गुजरात प्लांट से जापान को निर्यात करती है, जिसकी खेप राज्य के पिपावाव बंदरगाह से भेजी जाती है। इसके अलावा, हुंडई मोटर इंडिया (एचएमआईएल) का प्रदर्शन मजबूत रहा है। कंपनी ने बीते वित्त वर्ष में 1,58,686 वाहनों का निर्यात किया है। कंपनी के शीर्ष निर्यात बाजारों में सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, चिली और पेरू शामिल हैं। 


संचयी आधार पर कंपनी अब तक हुंडई आई10 के 1.5 मिलियन यूनिट्स और 5,00,000 यूनिट्स हुंडई वरना के निर्यात कर चुकी है


संचयी आधार पर कंपनी अब तक हुंडई आई10 के 1.5 मिलियन यूनिट्स और 5,00,000 यूनिट्स हुंडई वरना के निर्यात कर चुकी है। सियाम के आंकड़ों के मुताबिक, पिछले वित्त वर्ष में दोपहिया वाहनों का निर्यात 21 प्रतिशत बढ़कर 41,98,403 यूनिट्स हो गया, जबकि वित्त वर्ष 2023-24 में यह 34,58,416 यूनिट्स था। इसके अलावा, वित्त वर्ष 2023-24 की तुलना में वित्त वर्ष 2024-25 में तिपहिया वाहनों का निर्यात 2 प्रतिशत बढ़ा है, जिसमें 3,10,000 यूनिट्स का निर्यात किया गया है। वाणिज्यिक वाहनों का निर्यात 2024-25 में 23 प्रतिशत बढ़कर 80,986 यूनिट्स हो गया, जबकि पिछले वित्त वर्ष में यह आंकड़ा 65,818 यूनिट्स था।(इनपुट-आईएएनएस)

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2,000 रुपए से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने का कोई विचार नहीं: केंद्र सरकार

April 19, 2025

 


वित्त मंत्रालय की ओर से यह स्पष्ट कर दिया गया है कि सरकार 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) लगाने के किसी प्रस्ताव पर विचार नहीं कर रही है। वित्त मंत्रालय ने कहा, “यह दावा कि सरकार 2,000 रुपए से अधिक के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने पर विचार कर रही है, पूरी तरह से गलत, भ्रामक और निराधार है। फिलहाल सरकार के पास ऐसा कोई प्रस्ताव नहीं है।”


किसी खास इंस्ट्रूमेंट्स का इस्तेमाल कर की जाने वाली पेमेंट से जुड़े मर्चेंट डिस्काउंट रेट (एमडीआर) जैसे चार्जेस पर लगाया जाता है। केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) ने पर्सन-टू-मर्चेंट (पीटूएम) यूपीआई ट्रांजैक्शन से 30 दिसंबर, 2019 की गैजेट नोटिफिकेशन के जरिए एमडीआर को हटा दिया है। सीबीडीटी का यह निर्णय जनवरी 2020 से प्रभावी है।


मंत्रालय की ओर से कहा गया है कि वर्तमान में यूपीआई ट्रांजैक्शन पर एमडीआर नहीं लगाया जाता है इसलिए इन ट्रांजैक्शन पर किसी तरह जीएसटी लागू नहीं है।

सरकार यूपीआई के जरिए डिजिटल पेमेंट को बढ़ावा देने के लिए प्रतिबद्ध है।


यूपीआई के विकास को समर्थन देने और बनाए रखने के लिए, वित्त वर्ष 2021-22 से एक प्रोत्साहन योजना चालू की गई है। आधिकारिक बयान में बताया गया है कि यह योजना विशेष रूप से कम मूल्य वाले यूपीआई (पीटूएम) ट्रांजैक्शन को टारगेट करती है। योजना के तहत ट्रांजैक्शन लागत को कम करने के साथ डिजिटल पेमेंट में भागीदारी और इनोवेशन को बढ़ावा देकर छोटे व्यापारियों को लाभ होता है।


पिछले कुछ वर्षों में इस योजना के तहत आवंटन में वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 1,389 करोड़ रुपये, वित्त वर्ष 2022-23 के लिए 2,210 करोड़ रुपये और वित्त वर्ष 2023-24 के लिए 3,631 करोड़ रुपये शामिल हैं।


इन उपायों ने भारत के मजबूत डिजिटल पेमेंट इकोसिस्टम में महत्वपूर्ण योगदान दिया है।


वहीं, एसीआई वर्ल्डवाइड रिपोर्ट 2024 के अनुसार,2023 में ग्लोबल रियल-टाइम ट्रांजैक्शन में भारत की भागीदारी 49 प्रतिशत थी, जो डिजिटल पेमेंट इनोवेशन में ग्लोबल लीडर के रूप में देश की मजबूत स्थिति को दिखाता है।


यूपीआई ट्रांजैक्शन वैल्यू में तेजी से वृद्धि दर्ज की गई है, जो वित्त वर्ष 2019-20 में 21.3 लाख करोड़ रुपये से बढ़कर मार्च 2025 तक 260.56 लाख करोड़ रुपये हो गई है। बयान में कहा गया कि विशेष रूप से, पीटूएम लेनदेन 59.3 लाख करोड़ रुपये तक पहुंच गया है, जो डिजिटल पेमेंट मेथड में बढ़ते ‘मर्चेंट अडॉप्शन’ और उपभोक्ता विश्वास को दर्शाता है। (इनपुट-आईएएनएस)

2,000 रुपए से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने का कोई विचार नहीं: केंद्र सरकार 2,000 रुपए से ज्यादा के यूपीआई ट्रांजैक्शन पर जीएसटी लगाने का कोई विचार नहीं: केंद्र सरकार Reviewed by SBR on April 19, 2025 Rating: 5

RBI, FIU-IND Sign MoU to Bolster Anti-Money Laundering Efforts

April 18, 2025

 



The Reserve Bank of India (RBI) and Financial Intelligence Unit-India (FIU-IND) today signed a Memorandum of Understanding (MoU) as part of continued coordinated efforts in effective implementation of requirements of the Prevention of Money Laundering Act and Rules framed under it. The MoU was signed by Director of FIU-IND Vivek Aggarwal and Executive Director, Department of Regulation of RBI R.L.K. Rao. According to the MoU, FIU-IND and RBI will cooperate with each other in the areas of mutual interest.


 


It includes sharing of relevant intelligence and information, available in their respective database and upgradation of Anti-Money Laundering and Combating Financing of Terrorism skills in the regulated entities. Both sides will also conduct outreach and training for regulated entities and make assessment of Money Laundering and Terror Financing risks and vulnerabilities in the relevant financial sub-sectors

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QpiAI launches India’s first full-stack quantum computer with 25 qubits on World Quantum Day

April 15, 2025

 


Bengaluru based QpiAI, one of the 8 startups selected under the National Quantum Mission, coordinated by the Department of Science and Technology (DST) announced the launch of one of India’s most powerful quantum computers featuring 25 superconducting qubits, on the occasion of World Quantum Day on Monday, according to the Ministry of Science & Technology.


QpiAI-Indus, the quantum computer launched, is the first full-stack quantum computing system in the country and combines advanced quantum hardware, scalable control, and optimized software for transformative hybrid computing. It integrates advanced quantum processors, next-generation Quantum-HPC software platforms, and AI-enhanced quantum solutions.


With this milestone, QpiAI is driving deep-science and deep-tech innovation across life sciences, drug discovery, materials sciences, mobility, logistics, sustainability, and climate action.


As a part of India’s National Quantum Mission, QpiAI is at the forefront of building the country’s quantum computing technology ecosystem, national quantum adoption programs, and creating one of the world’s largest quantum talent ecosystems. QpiAI is committed to accelerating India’s quantum journey, making quantum computing technologies practical, accessible, and globally impactful. The technologies from the company, bootstrapped in 2019, have led to 11 patent applications and generated a revenue of around Rs 1 million per annum. They have also generated substantial capital from the Small Industries Development Bank of India (SIDBI).


With this announcement on World Quantum Day which marks a shared vision for a quantum-enabled future that transforms industries, accelerates scientific discovery, and empowers the next generation of innovators, QpiAI joins the global community of scientists, engineers, policy makers, and enthusiasts in celebrating the remarkable progress and possibilities unlocked by quantum science and technology.

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India’s retail inflation falls to 3.34 per cent in March, lowest level since August 2019

April 15, 2025

 


India’s annual retail inflation, measured by the Consumer Price Index (CPI), eased to 3.34% in March 2025—the lowest level since August 2019—according to data released by the Ministry of Statistics on Tuesday.


Food inflation also slowed significantly during the month, dropping to 2.69%, its lowest since November 2021.


The notable decline in both headline and food inflation is primarily attributed to a reduction in the prices of key food items such as vegetables, eggs, pulses, meat and fish, cereals, and milk, the ministry noted.


Among the commodities with the sharpest year-on-year price drops in March were ginger (-38.11%), tomato (-34.96%), cauliflower (-25.99%), jeera (cumin) (-25.86%), and garlic (-25.22%).


Housing inflation stood at 3.03% in March, slightly higher than February’s 2.91%. Notably, the housing index is compiled only for the urban sector.


Fuel and light inflation was recorded at 1.48%, while education inflation for the month came in at 3.98%, the data showed.


Retail inflation in India has been on a downward trend in recent months. Reflecting this, the Reserve Bank of India’s (RBI) Monetary Policy Committee recently revised its inflation forecast for 2025–26 to 4.0%, down from the earlier projection of 4.2%, citing improved prospects for food prices.


“Headline inflation moderated during January–February 2025 following a sharp correction in food inflation. The outlook for food inflation has turned decisively positive,” said RBI Governor Sanjay Malhotra last week.


He noted that concerns regarding rabi crop output have eased significantly, with the second advance estimates pointing to record wheat production and higher pulse output compared to the previous year. These developments, along with robust kharif crop arrivals, are expected to contribute to a sustained softening of food prices.


“The sharp decline in inflation expectations in our latest survey—both for three months and one year ahead—will help anchor inflationary trends going forward,” Malhotra added.


The Governor also emphasized that falling global crude oil prices are favorable for the inflation outlook. However, he cautioned that global market uncertainties and potential weather-related supply disruptions remain as upside risks.


Assuming a normal monsoon, the RBI projects CPI inflation for the financial year 2025–26 at 4.0%, with quarterly estimates as follows: Q1: 3.6%, Q2: 3.9%, Q3: 3.8%, and Q4: 4.4%.


The risks to this outlook are considered evenly balanced.

India’s retail inflation falls to 3.34 per cent in March, lowest level since August 2019 India’s retail inflation falls to 3.34 per cent in March, lowest level since August 2019 Reviewed by SBR on April 15, 2025 Rating: 5

FDI in pharma sector crosses 19 cr last fiscal

April 14, 2025

 


India’s pharmaceuticals and medical devices sector has seen a FDI inflow to the tune of 11,888 crore rupees from April to December in the financial year ended on March 31, 2025. Apart from this, 13 FDI proposals worth 7,246.40 crore rupees for brownfield projects during 2024-25 have been approved, taking the total FDI to 19,134.4 crore rupees, according to figures compiled by the Department of Pharmaceuticals.

According to an official statement, the government’s Production Linked Incentive (PLI) Scheme has turned out to be a transformative initiative for boosting domestic manufacturing, attracting investments, reducing reliance on imports and increasing exports. One of the significant achievements under the PLI scheme has been the surpassing of targeted investments. While the initial commitment was 3,938.57 crore rupees, the actual realised investment has already reached 4,253.92 crore rupees as of December 2024.

Under the PLI scheme for Bulk Drugs, a total of 48 projects have been selected under the scheme, of which 34 projects have been commissioned for 25 bulk drugs as of December 2024.

FDI in pharma sector crosses 19 cr last fiscal FDI in pharma sector crosses 19 cr last fiscal Reviewed by SBR on April 14, 2025 Rating: 5

India’s forex reserves surge by 10.8 billion US dollars to 676.26 billion dollars

April 13, 2025

 


India’s foreign exchange reserves surged by 10.8 billion dollars, reaching over 676.2 billion dollars in the week ending April 4. According to the Weekly Statistical Supplement released by the Reserve Bank of India, during the last week, foreign currency assets, a major component of the reserves, were up by over 9.07 billion dollars to over 574 billion dollars. Gold reserves increased by over 1.56 billion dollars, totaling 79.36 billion dollars. Also, Special Drawing Rights advanced by 186 million dollars, reaching 18.36 billion dollars, and the Central Bank’s position in the International Monetary Fund was up by 46 million dollars, reaching 4.46 billion dollars.

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कंपोनेंट पीएलआई से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, नौकरियां होंगी सृजित

April 09, 2025

 


वित्त वर्ष 2025 में स्मार्टफोन निर्यात 2 लाख करोड़ रुपये को पार कर गया, जिसमें अकेले आईफोन का हिस्सा लगभग 1.5 लाख करोड़ रुपये रहा। आईटी मंत्रालय ने 22,919 करोड़ रुपये की इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम (ईसीएमएस) को अधिसूचित किया है, जो इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए ग्लोबल हब के रूप में भारत की स्थिति को मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।

हमारी सरकार हमेशा खुले विचारों वाली, परामर्शदात्री और समावेशी रही है

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव के अनुसार, इलेक्ट्रॉनिक्स कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग स्कीम का नोटिफिकेशन कैबिनेट के फैसले के क्रम में है।उन्होंने कहा, “हमारी सरकार हमेशा खुले विचारों वाली, परामर्शदात्री और समावेशी रही है। हम किसी भी कानून या नीति को अंतिम रूप देने से पहले सभी के विचारों को ध्यान में रखते हैं।” पिछले एक दशक में, इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में पांच गुना और निर्यात में छह गुना से अधिक की वृद्धि हुई है, जिसमें निर्यात सीएजीआर 20 प्रतिशत से अधिक और उत्पादन सीएजीआर 17 प्रतिशत से अधिक है।

इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की यात्रा अलग-अलग चरणों से गुजरी है

केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने कहा, “थोड़े ही समय में इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम, जिसमें कम्पोनेंट मैन्युफैक्चरर्स और विविध प्रकार के खिलाड़ी शामिल हैं, काफी विकसित हो गया है। आज, 400 से अधिक उत्पादन इकाइयां हैं, जिनमें बड़ी और छोटी दोनों तरह की इकाइयां हैं, जो विभिन्न प्रकार के कंपोनेंट का निर्माण करती हैं।” वैश्विक उद्योग के रुझानों को दर्शाते हुए, केंद्रीय मंत्री ने कहा कि इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्युफैक्चरिंग में भारत की यात्रा अलग-अलग चरणों से गुजरी है। यह तैयार माल से शुरू होकर सब-असेंबली तक आगे बढ़ते हुए और अब डीप कंपोनेंट मैन्युफैक्चरिंग के महत्वपूर्ण चरण में प्रवेश कर रही है।

यह क्षेत्र लगातार इस तीसरे चरण में आगे बढ़ रहा है, जो वैल्यू एडिशन, आत्मनिर्भरता और इकोसिस्टम को लेकर एक बड़ी उपलब्धि है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि योजना को कंज्यूमर इलेक्ट्रॉनिक्स, मेडिकल डिवाइस, ऑटोमोबाइल, पावर इलेक्ट्रॉनिक्स और इलेक्ट्रिकल ग्रिड जैसे कई क्षेत्रों में लाभ के साथ एक महत्वपूर्ण पहल के रूप में डिजाइन किया गया है, जिससे अर्थव्यवस्था को भी मजबूती मिलेगी।

रोजगार सृजन सभी आवेदकों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता होगी

यह योजना विशेष रूप से निष्क्रिय इलेक्ट्रॉनिक घटकों पर केंद्रित है, जिन्हें नई पहल के तहत समर्थन दिया जाएगा। इसके विपरीत, सक्रिय घटक भारत सेमीकंडक्टर मिशन (आईएसएम) के दायरे में आते हैं। निष्क्रिय घटकों की सूची में रेसिस्टर, कैपेसिटर, कनेक्टर, इंडक्टर, स्कीकर्स, रिले, स्विच, ऑसिलेटर, सेंसर, फिल्म, लेंस आदि शामिल हैं। यह योजना इलेक्ट्रॉनिक्स उत्पादन में उपयोग किए जाने वाले पूंजीगत उपकरणों के डिजाइन और मैन्युफैक्चरिंग का भी समर्थन करेगी। रोजगार सृजन सभी आवेदकों के लिए एक अनिवार्य आवश्यकता होगी, जिसमें घटक निर्माता और पूंजीगत उपकरण उत्पादक दोनों शामिल हैं।(इनपुट-आईएएनएस)

कंपोनेंट पीएलआई से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, नौकरियां होंगी सृजित कंपोनेंट पीएलआई से इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात को मिलेगा बढ़ावा, नौकरियां होंगी सृजित Reviewed by SBR on April 09, 2025 Rating: 5

भारत का डेटा सेंटर उद्योग मजबूत वृद्धि के लिए तैयार, 2027 तक 77% बढ़कर 1.8 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान

April 09, 2025

 


भारत की डेटा सेंटर क्षमता वर्ष 2027 तक 77% तक बढ़ने का अनुमान है। जी हां, इस समय अवधि के भीतर भारत की डेटा सेंटर क्षमता बढ़कर 1.8 गीगावाट तक पहुंच सकती है। ऐसे में कहा जा सकता है कि भारत का डेटा सेंटर उद्योग मजबूत वृद्धि के लिए तैयार है। 2024 में 1 गीगावाट के मील के पत्थर को किया पार

बताना चाहेंगे कि यह जानकारी बुधवार को आई एक लेटेस्ट रिपोर्ट में दी गई है। डेटा सेंटर उद्योग में यह मजबूत विस्तार 2024 में 1 गीगावाट के मील के पत्थर को पार करने के बाद हुआ है। 

डेटा सेंटर उद्योग साल 2019 से 24% सीएजीआर का कर रहा मजबूत प्रदर्शन 

वहीं डेटा सेंटर उद्योग साल 2019 से 24 प्रतिशत सीएजीआर का मजबूत प्रदर्शन कर रहा है। जेएलएल की रिपोर्ट के अनुसार, क्लाउड सर्विस प्रोवाइडर्स की मांग और तेजी से बढ़ते एआई क्षेत्र द्वारा संचालित यह वृद्धि भारत को ग्लोबल डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर के परिदृश्य में एक उभरती शक्ति के रूप में स्थापित करती है।

मुंबई भारत के डेटा सेंटर बाजार में एक लीडर के रूप में उभरा

मुंबई भारत के डेटा सेंटर बाजार में एक लीडर के रूप में उभरा है, जो देश की कुल क्षमता का 52% हिस्सा रखता है। यह प्रभुत्व भारत के डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में मुंबई की महत्वपूर्ण भूमिका और देश के डेटा हब के रूप में इसकी स्थिति को उजागर करता है।

मुंबई के बाद चेन्नई दूसरे स्थान पर 

इसी क्रम में मुंबई के बाद चेन्नई दूसरे स्थान पर है, जहां भारत की डेटा सेंटर क्षमता का 21 प्रतिशत हिस्सा है। दिलचस्प बात यह है कि बेंगलुरु जिसे भारत की सिलिकॉन वैली कहा जाता है और हैदराबाद जैसे स्थापित टेक हब में देश की डेटा सेंटर क्षमता का 7-7 प्रतिशत हिस्सा है।

जेएलएल के एपीएसी लीड (डेटा सेंटर कोलोकेशन लीजिंग) रचित मोहन ने कहा, “भारत एआई मिशन सभी क्षेत्रों में एआई अपनाने को बढ़ावा देगा, जो 1 ट्रिलियन डॉलर डिजिटल अर्थव्यवस्था लक्ष्य में योगदान देगा। भारत में डिजिटल और रियल एस्टेट इंफ्रास्ट्रक्चर के लिए 5 बिलियन डॉलर के निवेश के साथ 785 मेगावाट (आईटी लोड) की नई डेटा सेंटर सप्लाई जोड़ने की उम्मीद है।”

मोहन ने कहा, “भविष्य की मांग वृद्धि पर अमेरिकी प्रसार नीति की प्रतिकूल परिस्थितियों का असर पड़ने की उम्मीद है, जो एडवांस टेक्नोलॉजी के ट्रांसफर को प्रतिबंधित करती है।”बीएफएसआई (बैंकिंग, फाइनेंशियल सर्विस और इंश्योरेंस) और टेक्नोलॉजी सेक्टर ऑक्यूपेंसी में क्रमशः 18 प्रतिशत और 12 प्रतिशत का योगदान देते हैं।

भारतीय डेटा सेंटर उद्योग ने 2024 की दूसरी छमाही में शानदार वृद्धि की

भारतीय डेटा सेंटर उद्योग ने 2024 की दूसरी छमाही (जुलाई-दिसंबर) में शानदार वृद्धि दर्ज की। सप्लाई में सालाना आधार पर 51 प्रतिशत की वृद्धि हुई, जो 114 मेगावाट तक पहुंच गई।जेएलएल के मुख्य अर्थशास्त्री और अनुसंधान एवं आरईआईएस, भारत प्रमुख सामंतक दास ने कहा, “भारतीय डेटा सेंटर उद्योग तीव्र वृद्धि के लिए तैयार है। यह तेजी तकनीकी प्रगति और सहायक सरकारी नीतियों की वजह से देखी जाएगी।”डिजिटल पर्सनल डेटा प्रोटेक्शन एक्ट और इसके साथ आने वाले नियम डेटा सुरक्षा परिदृश्य को बदलने के लिए तैयार हैं। (इनपुट-एजेंसी)

भारत का डेटा सेंटर उद्योग मजबूत वृद्धि के लिए तैयार, 2027 तक 77% बढ़कर 1.8 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान भारत का डेटा सेंटर उद्योग मजबूत वृद्धि के लिए तैयार, 2027 तक 77% बढ़कर 1.8 गीगावाट तक पहुंचने का अनुमान Reviewed by SBR on April 09, 2025 Rating: 5

आरबीआई करेगा मौद्रिक नीति की घोषणा, तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति बैठक का आज आखिरी दिन

April 09, 2025

 


आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा आज बुधवार सुबह 10 बजे प्रमुख ब्याज दर को लेकर बड़ा ऐलान करेंगे। इस दौरान मल्होत्रा का संबोधन आधिकारिक यूट्यूब चैनल पर देखा जा सकता है। तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) बैठक का आज आखिरी दिन है। 


7 अप्रैल को ये बैठक हुई थी शुरू


बताना चाहेंगे 7 अप्रैल को ये बैठक शुरू हुई थी। यह वित्तीय वर्ष 2025-26 की पहली और कैलेंडर वर्ष में दूसरी बैठक है। संभावना जताई जा रही है कि केंद्रीय बैंक रेपो रेट में 25 आधार अंक की कटौती कर सकता है। इसमें अर्थव्यवस्था की स्थिति की बारे में भी जानकारी दी जाएगी।


2024-25 की आखिरी मीटिंग में आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी


इससे पहले चालू वित्त वर्ष यानी 2024-25 की आखिरी मीटिंग में आरबीआई ने ब्याज दरों में 0.25 फीसदी की कटौती की थी। फरवरी में हुई मीटिंग में ब्याज दरों को 6.5 फीसदी से घटाकर 6.25 फीसदी कर दिया। ये कटौती करीब 5 साल बाद की गई थी।केंद्रीय बैंक जिस ब्याज दर पर बैंकों को लोन देता है उसे रेपो रेट कहते हैं। रेपो रेट घटने से बैंक को कम ब्याज पर लोन मिलेगा। बैंकों को लोन सस्ता मिलता है, तो इसका सीधा फायदा ग्राहकों को मिलता है, वो इसलिए क्योंकि बैंक भी अपनी ब्याज दरें घटा देते हैं।


मौद्रिक नीति समिति में छह सदस्य 


बता दें, गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता वाली आरबीआई की एमपीसी में छह सदस्य हैं जिनमें से तीन बाहरी सदस्य शामिल हैं। इससे पहले अक्टूबर में केंद्र ने तीन बाहरी सदस्यों की नियुक्ति की थी। नए सदस्य सौगत भट्टाचार्य, अर्थशास्त्री हैं; डॉ. नागेश कुमार, निदेशक और मुख्य कार्यकारी, औद्योगिक विकास अध्ययन संस्थान; और प्रोफेसर राम सिंह, निदेशक, दिल्ली स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, दिल्ली विश्वविद्यालय। तीन आंतरिक सदस्य चेयरपर्सन संजय मल्होत्रा, आरबीआई के कार्यकारी निदेशक डॉ राजीव रंजन और डिप्टी गवर्नर एम राजेश्वर राव हैं।


मार्च में ही आरबीआई ने बैठक का शेड्यूल किया था जारी 


बता दें, मार्च में ही आरबीआई ने बैठक का शेड्यूल जारी किया था। इसमें स्पष्ट किया गया कि छह बैठकें होंगी। पहली 7-9 अप्रैल, दूसरी 4 से 6 जून, तीसरी 5 से 7 अगस्त, चौथी 29 सितंबर से 1 अक्टूबर, पांचवीं 3 से 5 दिसंबर और छठी बैठक 4 से 6 फरवरी, 2026 को निर्धारित है। (इनपुट-एजेंसी)

आरबीआई करेगा मौद्रिक नीति की घोषणा, तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति बैठक का आज आखिरी दिन आरबीआई करेगा मौद्रिक नीति की घोषणा, तीन दिवसीय मौद्रिक नीति समिति बैठक का आज आखिरी दिन Reviewed by SBR on April 09, 2025 Rating: 5

पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना अधिक राजस्व जुटाने में सक्षम होगी सरकार

April 08, 2025

 


केंद्र सरकार की ओर से सोमवार को घोषणा की गई कि पेट्रोल और डीजल पर उत्पाद शुल्क में 2-2 रुपए की वृद्धि की जा रही है, जो आज मंगलवार से प्रभावी होगी। हालांकि, वैश्विक बाजार में तेल की कीमतों में गिरावट के कारण दोनों ईंधनों की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।

तेल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनियों के लिए उत्पादन लागत होगी कम 

कच्चे तेल की कम कीमतों से इंडियन ऑयल और भारत पेट्रोलियम जैसी तेल रिफाइनिंग और मार्केटिंग कंपनियों के लिए उत्पादन लागत कम होगी और उनके खुदरा मार्जिन में वृद्धि होगी। 

खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं

उत्पाद शुल्क दरों में वृद्धि के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी। इससे सरकार उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना उत्पाद शुल्क वृद्धि से अधिक राजस्व जुटाने में सक्षम होगी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने एक्स पर पोस्ट किया, “पीएसयू ऑयल मार्केटिंग कंपनियों ने सूचित किया है कि उत्पाद शुल्क दरों में वृद्धि के बाद पेट्रोल और डीजल की खुदरा कीमतों में कोई वृद्धि नहीं होगी।”

पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर किया

आदेश के अनुसार पेट्रोल पर उत्पाद शुल्क बढ़ाकर 13 रुपए प्रति लीटर और डीजल पर 10 रुपए प्रति लीटर कर दिया गया है।

इस कदम का क्या है उद्देश्य ?

इस कदम का उद्देश्य वैश्विक बाजार में कच्चे तेल की कीमतों में चार साल के निचले स्तर पर गिरावट के कारण अधिक राजस्व प्राप्त करना है। बेंचमार्क ब्रेंट क्रूड अप्रैल 2021 के बाद से सबसे कम 63 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया है और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड 59.57 डॉलर पर आ गया है।

दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत

दुनिया में कच्चे तेल का तीसरा सबसे बड़ा आयातक भारत तेल की कीमतों में गिरावट के कारण लाभ में है। सोमवार को तेल की कीमतों में गिरावट जारी रही, जो करीब 4 प्रतिशत गिर गई, क्योंकि संयुक्त राज्य अमेरिका और चीन के बीच बढ़ते व्यापार तनाव ने मंदी की आशंकाओं को जन्म दिया, जिससे कच्चे तेल की मांग में गिरावट आएगी, जबकि ओपेक + तेल कार्टेल ने सप्लाई बढ़ाने का फैसला किया है।ब्रेंट फ्यूचर्स 2.43 डॉलर या 3.7 प्रतिशत गिरकर 63.15 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया और यूएस वेस्ट टेक्सास इंटरमीडिएट क्रूड फ्यूचर्स 3.9 प्रतिशत गिरकर 59.57 डॉलर पर आ गया।

दुनिया के सबसे बड़े तेल निर्यातक देश सऊदी अरब ने रविवार को मई में एशियाई खरीदारों के लिए कच्चे तेल की कीमतों में 2.3 डॉलर प्रति बैरल तक की कटौती की।

तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत

तेल की कीमतों में गिरावट भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए शुभ संकेत है क्योंकि देश अपनी कच्चे तेल की जरूरत का करीब 85 फीसदी आयात करता है और तेल की कीमतों में किसी भी गिरावट से देश के आयात बिल में कमी आती है। इससे चालू खाता घाटा (सीएडी) कम होता है और रुपया मजबूत होता है।

देश में मुद्रास्फीति होती है कम 

बाहरी संतुलन को मजबूत करने के अलावा, तेल की कीमतों में गिरावट से घरेलू बाजार में पेट्रोल, डीजल और एलपीजी की कीमतें भी कम होती हैं, जिससे देश में मुद्रास्फीति कम होती है।सरकार ने यूक्रेन युद्ध के मद्देनजर पश्चिमी दबाव के बावजूद तेल कंपनियों को रियायती कीमतों पर रूसी कच्चा तेल खरीदने की अनुमति देकर देश के तेल आयात बिल को कम करने में भी मदद की है।

अमेरिका और यूरोप के मॉस्को पर लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद मोदी सरकार रूस के साथ अपने संबंधों को बनाए रखने में दृढ़ रही है।रूस अब इराक और सऊदी अरब की जगह भारत को कच्चे तेल का सबसे बड़ा आपूर्तिकर्ता बन गया है। भारत वास्तव में रूस के समुद्री तेल का सबसे बड़ा खरीदार बन गया है, जो भारत के कुल तेल आयात का लगभग 38 प्रतिशत है। (इनपुट-एजेंसी)

पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना अधिक राजस्व जुटाने में सक्षम होगी सरकार पेट्रोल-डीजल पर उत्पाद शुल्क में वृद्धि, उपभोक्ताओं पर बोझ बढ़ाए बिना अधिक राजस्व जुटाने में सक्षम होगी सरकार Reviewed by SBR on April 08, 2025 Rating: 5

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