Super Exclusive…धर्मपुर में हुए पेड़ कटान पर मोदी ने बिठाई जांच, तीन सदस्यीय कमेटी का गठन। सुक्खू सरकार की जांचें भी कटघरे में, वन विभाग के साहबों की ‘ करनी ‘ भी होगी उजागर!

 


धर्मपुर में हुए अवैध कटान मामले में केंद्र की मोदी सरकार ने जांच करवाने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन कर दिया है। इस कमेटी के गठित होते ही सुक्खू सरकार द्वारा करवाई गई जांचें भी कटघरे में आ गई हैं और वन विभाग के कुछ साहबों की कार्यप्रणाली भी कटघरे में खड़ी हो गई है।


धर्मपुर के बहरी नामक स्थान पर हजारों टन हरी लकड़ी पाये जाने के बाद केंद्र सरकार कड़े कदम उठाने जा रही है। इसी कड़ी में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा इस पूरे मामले की निष्पक्ष जांच के लिए एक उच्चस्तरीय कमेटी का गठन किया गया है। हजारों हरे पेड़ों के कटान पर केंद्र सरकार द्वारा सख्त रुख अपनाने के बाद कांग्रेसी विधायक चंद्रशेखर की मुश्किलें बढ़ सकती हैं।

मोदी की कमेटी करेगी जांच! 

मंत्रालय द्वारा डिप्टी डॉयरेक्टर जनरल जॉर्ज जैनर ( भारतीय वन सेवा) की अध्यक्षता में गठित तीन सदस्यीय समिति धर्मपुर उपमंडल में हुए हजारों हरे पेड़ों के कटान मामले की जांच करेगी। इस कटान के दौरान पीपल, बरगद, बदारे, सिंबल आदि प्रतिबंधित किस्म के पेड़ों की लकड़ी स्टॉक में मिलने के बाद जांच करवाने को हरी झंडी दी गई है। कमेटी अतिशीघ्र जांच को लेकर धर्मपुर आएगी कमेटी गठित होने पर अवैध कटान करने वालों के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारियों में भी हड़कंप मच गया है। बताया जा रहा है कि जांच कमेटी ने राजस्व विभाग के कर्मचारियों के साथ मौके पर जाकर काटे गए पेड़ों की जांच की तो विधायक की पत्नी, ठेकेदार और वन तथा राजस्व विभाग के कर्मचारियों की भी मुश्किलें बढ़ने की संभावनाएं प्रबल हैं। बताया जा रहा है कि यह ठेकेदार धर्मपुर और कमलाह रेंज में प्राइवेट जमीन के अलावा अन्य प्रकार की जमीन से प्रतिबंधित हरे पेड़ों के साथ साथ जंगलों से भी सैंकड़ों पेड़ भी ले उड़े हैं।



विधानसभा की तीन सदस्य कमेटी भी कर चुकी है जांच।

विधायक की कंपनी द्वारा किए गए अवैध घटन को लेकर विधानसभा में गठित तीन सदस्य कमेटी इस मामले की जांच कर चुकी है। इस कमेटी में विधायक सतपाल सत्ती, बलवीर वर्मा और सुखराम चौधरी शामिल थे। कमेटी ने घटनास्थल का दौरा किया था और लोगों के बयान भी दर्ज किए थे। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में इस अवैध कटान को लेकर सरकार के साथ-साथ वन विभाग के अधिकारियों को भी दोषी ठहराया था। रिपोर्ट में यह लिखा था कि कुछ अवैध लकड़ी को रातों-रात प्रौंण ढांक के नीचे जेसीबी से भी गिराया और दफनाया गया है।

आरटीआई से हुआ था भंडाफोड़-

यह सारा खुलासा पूर्व जिला पार्षद भूपेंद्र सिंह द्वारा ली गई आरटीआई से हुआ था। उन्हीं की शिकायत बाद वन विभाग द्वारा की गई जांच में 5235 किविंटल लकड़ी स्टॉक में पाई गई है। जिसमें से 507 किविंटल लकड़ी प्रतिबंधित किस्म के पेड़ों की पाई गई है। इसमें बरगद, तुन्नि, कचनार, बदारे, उमरे, आम,जामुन, कैन्थ, ब्लोधर, खसरे, जापानी तूत और गावन इत्यादि पेड़ों की है। 1358 किविंटल ओई सिरस, सिंबल की है। यह लकड़ी कम्पनी के निदेशक विधायक चंद्रशेखर और उनकी धर्मपत्नी कविता शेखर द्धारा बनाई गई बहरी रीन्यूएबल एनर्जी कम्पनी द्धारा लीज़ पर ली गई भूमि पर डंप की गयी थी। यह सारी लकड़ी बिना वन विभाग की अनुमति के बिना यहाँ डंप की गई है। विधायक ने अस्थायी बालन लकड़ी का डिपो खोलने के लिए 27 नवंबर 2024 को वन विभाग को आवेदन किया है लेकिन उसकी अनुमति अभी तक भी उन्हें नहीं मिली है। दिसंबर 22 को सकलाना ग्राम पंचायत के प्रधान सुरेंद्र कुमार द्वारा शिक़ायत दर्ज करवाने और मीडिया में मामले के उछलने तथा विधानसभा द्वारा संज्ञान लेने के बाद 24 दिसंबर से जांच शुरू की गई थी, जिसकी रिपोर्ट आ गई है। डंप की गई लकड़ी बहरी रीन्यूएबल एनर्जी कंपनी की है। वन विभाग द्वारा की गई जांच में यह बात सामने आई थी कि लकड़ी विभाग द्धारा दिए परमिट से ज़्यादा मौके पर पाई गई है। इसमें 1842 क्विंटल लकड़ी को ज़ब्त कर दिया गया है।

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