Himachal News: जंगली जानवरों को गोद लेने कोई नहीं आ रहा

 


हिमाचल के चिडिय़ाघरों में पल रहे जानवरों को पालक नहीं मिल पा रहे हैं। वन्य प्राणी विभाग ने करीब दो साल पहले जंगली जानवरों को गोद लेने की परंपरा शुरू की थी, लेकिन अभी तक केवल 12 जानवरों को ही गोद लेने की रस्म पूरी हो पाई है। इनमें से भी अनुबंध खत्म होने के बाद जिन लोगों ने जंगली जानवरों को गोद लिया था उन्होंने अनुबंध को दोहराया नहीं है। हिमाचल के चिडिय़ाघर में पल रहे जानवरों को गोद लेने के सभी पिछले करार जून 2024 में खत्म हो चुके हैं और इसके बाद एकमात्र करार सितंबर माह में हुआ है, जो अगले साल अगस्त तक जारी रहेगा। इसमें कांगड़ा के संसारपुर टैरेस के उद्योग ने कुफरी जू में एक हिमालयन थार को गोद लिया है। इस जानवर के लिए 25 हजार रुपए की कीमत उद्योग प्रबंधन की तरफ से चुकाई गई है।


अगस्त 2025 तक हिमालयन थार संबंधित उद्योग का रहेगा, जबकि अनुबंध को आगे बढ़ाने के लिए अगले साल अगस्त के बाद फिर से 25 हजार रुपए चुकाने होंगे। प्रधान मुख्य अरण्यपाल वन्यप्राणी अमिताभ गौतम ने बताया कि वन्य प्राणियों को गोद लेने के लिए नियम तय किए गए हैं। इन नियमों के तहत कोई भी व्यक्ति एक साल के लिए जू में पल रहे जानवरों को गोद ले सकते हैं।


अब तक किसने, कितने जानवर लिए गोद


जानवरों को गोद लेने के अभियान की शुरुआत दो अक्तूबर, 2022 को हिमाचल के तत्कालीन राज्यपाल अरविंद आर्लेकर ने की थी। उन्होंने वेस्टर्न ट्रैगोपेन को कुफरी जू में गोद लिया था। हालांकि इसके लिए किसी भी तरह की कीमत उस समय नहीं चुकाई गई थी। इसके अलावा बलदेव ठाकुर ने डेढ़ लाख रुपए की कीमत में एक साल के लिए लैपर्ड, स्वर्ण आभा ज्वेलर मंडी ने 12 हजार रुपए में रिवाल्सर जू में पीजेंट, भूषण ठाकुर शिमला ने 12 हजार में चीड़ पिजेंट, सांगला वैली ऊना ने 25 हजार में गोरल, मनीष आनंद ने 12 हजार में वेस्टर्न ट्रैगोपेन, अंबुजा सीमेंट कंपनी प्रबंधन ने डेढ़ लाख में रेणुकाजी में लैपर्ड, प्राइमर एल्कोबेव संसारपुर टैरेस ने कुफरी जू में 25 हजार में हिमालयन थार, नितिन शर्मा ने 12 हजार में रिवाल्सर जू में पिजेंट, रतन शर्राफ मंडी ने रिवाल्सर जू में 12 हजार में पिजेंट, केके हाइड्रो 12 हजार में मोनाल को गोद लिया था, जबकि अब ताजा मामले में प्राइमर एल्कोबेव संसारपुर टैरेस ने 25 हजार में हिमालयन थार को गोद लिया है।


किस जानवर की कितनी बोली


वन्य प्राणी विभाग ने जानवरों को चार श्रेणियों में बांटा गया है। इनमें सबसे ज्यादा कीमत शेर, बर्फानी तेंदुआ, सामान्य तेंदुआ, भूरे और काले भालू की है। 60 हजार से दो लाख रुपए की कीमत चुका कर इन जानवरों को गोद लिया जा सकता है। हिमालयन ग्रिफोन सांभर 40 से 50 हजार रुपए, वाइल्ड बोर, लैपर्ड कैट, ईएमयू, ईगल, हिमालयन घोरल, वार्किंग डीर को 15 से 25 हजार के बीच कीमत चुकाकर गोद लिया जा सकता है, जबकि पिजेंट, लव बर्डस और टर्टलस को पांच से 12 हजार रुपए की कीमत पर एक साल के लिए गोद लिया जा सकता है।


पालकों को आयकर में दी है छूट


जंगली जानवरों को गोद लेने वालों को आयकर में छूट दी है। इसके अलावा प्रथम श्रेणी के जानवरों को गोद लेने पर एक साल के लिए पांच सदस्यों को कंप्लीमेंटरी पास और जू में 12 विजिट, प्रमाण पत्र और इसके साथ ही जानवर के सामने पालक की नेम प्लेट लगाने का निर्णय लिया है। द्वितीय श्रेणी में पांच सदस्यों को पास और छह विजिट, तृतीय श्रेणी के लिए एक साल में पांच सदस्यों को तीन विजिट और चौथी श्रेणी के जानवरों को गोद लेने वाले पांच सदस्यों को साल में एक विजिट का मौका मिल पाएगा।


हिमाचल में हैं आठ हजार जंगली जानवर


हिमाचल में आठ हजार से ज्यादा वन्य जीव हैं। इनमें 70 प्रतिशत जानवरों की प्रजातियां हैं, जबकि 30 प्रतिशत पक्षी और अन्य जीव हैं। वन्य प्राणी विभाग के पास प्रदेश में 26 वाइल्ड सेंक्चुरी, पांच रिजर्व पार्क है, जो 8300 स्क्वेयर किलोमीटर में फैला है। इसके अलावा तीन रामसर वैटलैंड हैं।

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